ऐसी चीजें जो अगर भारत सरकार नहीं लाई होती तो भारत कभी विकसित न होता |
"आपने सरकार की कई योजनओं के बारे में सुना होगा। सरकार अपनी नई नीति लाती है, ताकि देश चल सके। महिला सशक्तिकरण योजना,गरीब कल्याण योजना,आदि योजनाओं से देश विकास की राह पे चल रहा है। आज हम आपको सरकार की उन महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में बताएंगे जिनसे हमारा देश आत्मनिर्भर हुआ।"
१. खाद्य पदार्थो में भारत को विकसित करना - MS. Swaminathan ,Lal Bahadur Shastri
दरअसल , आजादी के बाद साल १९६० में भात में भयंकर भुकमरी आई थी। भारत के लोगों के पास खाने के लिए खाद्य-पदार्थ नहीं थे।
M.S Swaminathan भारत के कृषि वैज्ञानिक है , उन्होंने विविध प्रकारो के फसलों का जायजा लिया तथा अपना योगदान दिया भारत को कृषि क्षेत्र में विकसित करने में।
लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गाँधी जी के नेतृत्व में हरित-क्रांति योजना को हरी झंडी दिखाई गयी थी , साल १९६८ मे। इस योजना के अनुसार भारत को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना था। नए प्रकार के फसलों ,सिचाई ,बड़ी पैमाने में उत्पादन , आदि इस योजना में प्रोत्साहन करना था। इसके साथ , एक अँगरेज़ ने भी भारत की सहायता की थी। दरअसल , 'नार्मन बोरलॉग (मेक्सिको देश का रहने वाला) ,ने भारत का ख़राब दृश्य देखते हुआ , भारत की मदत की। उसने भारत में बौने गेहूँ की एक किस्म को विकसित किया तथा भारतीय किसानों को फसल उगाने के लिए वह गेहूँ उपलब्ध कराया।
इसके साथ कई सरकारी मदत भी किसानों को प्रदान की गई। खुद प्रधानमंत्री भी भोजन की बचत को देखते हुए , कम खाना या कहे तो एक टाइम का भोजन कहते थे। इसतरह , भारत को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारतीय सरकार ने देश कों बहुत योगदान दिया था , भुकमरी में देश को संभाला। आगे जाके भारत एक कृषिप्रधान देश बना ।
हल्दीराम,बालाजी ,अमूल , आदि कम्पनियाँ भारतीय है, जो चिप्स , नमकीन आदि खाने के पदार्थो को बनाते है , जिनसे किसानों को डायरेक्ट फायदा पहुँचता है।
२. दूरसंचार क्रांति( Telecom Revolution)- Rajiv Gandhi
साल १९८४ में , Centre For Development Of Telematics {C-DOT}की स्तापना हुई थी। इसका उद्देश्य था की भारत को टेलीफोन नेटवर्क के क्षेत्र में आत्मनिर्भर करना तथा विकसित करना। इसका नेतृत्व स्वयं राजीव गाँधी जी कर रहे थे। उनका मानना था की भारत टेलीकॉम सेक्टर में काफी उन्नति कर सकता है।
राजीव गाँधी जी को 'Father of Telecom Revolution in India 'भी कहते है । दरअसल, साल १९८६ में महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड की स्थापना हुई थी , इसके कारण मोबाइल नेटवर्क के प्रचार में फायदा पहुँचा था। नेटवर्क के क्षेत्र में राजीव गाँधी जी के सहायता से पब्लिक कॉल ऑफिस (PCO)की स्तापना हुई थी। सिर्फ शहरों में ही नहीं , बल्कि गाओ में भी ये सेवा उपलब्ध हुआ करती थी। आज के समय में 'PCO' नज़र नहीं आती , अब इंटरनेट से सब काम हो जाता है।
आज हम जानते है की जिओ,एयरटेल,वोडाफोन ,टेलीनॉर ,BSNL, आदि कम्पनियाँ भारत में व्यापर कर रही है , जिससे भारत के लोगों को रोजगार मिल रहा है। आज भारत इंटरनेट उपयोग के मामले में दुनिया में 2th स्थान पर है।
३. भारत में पहली बार मेर्टो train का आगमन - Bidhan Chandra Roy
'पश्चिम बंगाल ' के मुख्यमंत्री 'बिधान रॉय' जी के नेतृत्व में मेट्रो ,भारत में पहली बार प्रवेश की थी। यह पहला ज़मीन के निचे चलने वाली मेट्रो थी।
साल १९५० , में 'बिधान रॉय ' जी के परमिशन से मेट्रो प्रोजेक्ट चालू हुआ था। इसकी योजना १९२० से हुई थी , पर तब 'ट्रैम्प रेल' का बोलबाला चलता था। इसको बनाने की प्रक्रिया साल १९७० से ही चालू हो गयी थी। फिर आगे जाके साल १९८४ ,२४ अक्टूबर को देश में पहली बार मेट्रो रेल पटरी पे दौड़ी थी।
यह रेलवे सिस्टम लंदन जैसा अंडरग्राउंड था। सैलानी यहाँ दूर-दूर से आते थे और आज भी आते है । पहली मेट्रो ट्रैन भारत में आने के बाद , दिल्ली मेट्र , चेन्नई मेट्रो ,मुंबई मेट्रो , आदि भी बनाए गए। नए प्रकार के रेल आने से भारत में यातायात की व्यवस्था और भी सुधर गयी। लोगों को आने-जाने में आसानी होने लगी।
आगे और इन्वेंशंस हुए , कुछ मेट्रो में तकनिकी खराबी को ठीक किया गया। पर आज हम अंडरग्राउंड मेट्रो नहीं दिखते , कुछ मेट्रो रेल को ब्रिज पे चलाया जाता है और कुछ को अंडरग्राउंड । इसप्रकार मेट्रो के आने से दुनिया में भारत की शान बढ़ी और भारत ने दिखा दिया की -'हम भी कुछ कर सकते है ' ।
आज भारत में मोनो रेल , वंदे भारत एक्सप्रेस ,ऐ.सी ट्रैन , लोकल ट्रैन , आदि निर्मित हो रहे है। सरकार को काफी मुनाफा हो रहा है , युवा को रोजगार मिल रहा है और देश विकास की राह पे चल रहा है।
४. पहला कंप्यूटर सिस्टम - TATA, Pandit Nehru
[Tata institute of fundamental Research] से पहला कंप्यूटर भारत भारत में बना था। पंडित नेहरू जी ने इस कंप्यूटर को - (टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च आटोमेटिक कैलकुलेटर ) नाम दिया गया था। साल १९६९ ,२१ january को पहला इलेक्ट्रिक कंप्यूटर , भाभा ऑटोमिक रिसर्च सेंट्रर(BARC) में चालू किया गया था। इसे विक्रम सरबाई जी ने चालू किया था।
कंप्यूटर को हिंदी में -संगणक कहा जाता है।
इसके साथ-साथ विदेशों में संपर्क के लिए विदेश संचार निगम लिमिटेड भी बनाया गया। हर राज्य के पास ये सिस्टम होता है। इससे हम विदेशों में स्तिथ भारतीयों से संपर्क कर सकते है। इसकी सेवा साल १९९५, १५ अगस्त यानि आजादी के महोत्सव पर लागु हो गयी थी।
आज हम जानते है की बहुत से भारतीय कंप्यूटर के बल पर विदेशों में उच्च पद पर बैठे है। यही कंप्यूटर ने हमे कई साडी नौकरी दी। भारत में कंप्यूटर के प्रवेश से ईमेल,फेसबुक,एम एस -वर्ड,एम एस -एक्सेल ,आदि से लोग काम कर रहे है , डाटा जमा करके रोजगार पा रहे है।
इसतरह भारत में कंप्यूटर आने से भारत को काफी फायदा पहुँचा।
५.भारत में पहला मॉल - Ansal's Plaza , Splencer Plaza
पुरे विश्व में मॉल का कांसेप्ट, 'विक्टर ग्रुएन ' नाम के व्यक्ति ने लाया था। भारत में आजादी के बाद सबसे पहला मॉल दिल्ली में बना था। यह मॉल तीसरा सबसे पुराना मॉल है पुरे भारत में। इस मॉल को 'Ansal's Plaza' द्वारा बनाया गया था। इसको देखते-देखते मुंबई में 'Crossroads' और चेन्नई में 'Spencer Plaza ' मॉल्स बने।
हाला की सबसे पहला मॉल साल १८६३-१८६४ ,को चेन्नई में बनाया गया था। उसका नाम 'Spencer Plaza' था। (built by Charles durant & J.w Spencer)
भारत की आर्थिक मंदी को देखते हुए भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को इज़ाज़त दी थी , भारत में कंपनी खोलने के लिए। इसके लिए उन्हें कई तरह के सुविधाए दिए गए थे। इन्हीं में से मॉल कंपनी को पेर्मिशन मिल गयी थी।
आज हमे पता है भारत में बहुत से मॉल कम्पनियाँ अपना कारोबार कर रहे है। इससे भारत में रोजगार के साथ आर्थिक हालत भी ठीक हो रहे थे। सरकार और लोगों ,दोनों को यह काफी पसंद आ रहा था।
लूलू शॉपिंग मॉल ,बिग बाजार मॉल , डी-मार्ट , आदि मॉल भारत में प्रसिद्ध है।
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