क्या हो अगर पूरी दुनिया में सिर्फ बंगले हो ?

 क्या हो अगर पूरी दुनिया में सिर्फ बंगले हो ?



" ये तो हम सब जानते है की आधुनिक युग में बिल्डिंगो का बोलबाला चल रहा है। यदि यही बिल्डिंग्स न हो और उसके जगह बंगले झंडा गाढ़े  रहे तो यह काफी आश्चर्य वाली बात होगी की जिस फ्लैट में हम कई वर्षों से रह रहे फिर वहा बंगले का क्या काम ? वेल , रहन-सहन तो वैसा ही रहेगा ;सिर्फ कागजाइ ज़मीन बदल जाएगी। "

आज के तारीख़ में किसी के पास ज्यादा धन है तो वो घर के मामलों में फ्लैट से ज्यादा बंगले को वरीयता देगा। हो भी क्यों न ,बंगले में तो ज्यादा कम्फर्ट महसूस होता है। अपनी शान भी बढ़ जाती है। साथ ही मामा,ताऊ ,फूफा ,भतीजा , चाचा ,दादा & दादी , आदि सब मिलकर बाते करेंगे ,पूरा परिवार अगर जॉइंट फॅमिली है तो फ्लैट का कसर बंगला पूरा कर देता है। परन्तु, इसे बनाने में पैसे भी अधिक लगेंग। रात्रि में चन्द्रमा  जिस बिल्डिंग के कारण ढका हुआ प्रतीत होता था ,आज उसे देखने के लिए लोग अपनी छत तथा बालकनी में  बड़े शौक से उसपे नजरे गढ़ाए बैठेंगे। इमारतों में इस्तेमाल होने वाले काँच भी  बिकना  बंद हो जाएंगे। 

हाँ प्राइवेसी बरक़रार रहेगी। परन्तु , हम बहुत सी चीजों को मिस करेंगे जैसे पड़ोसी ,सेक्रेटरी ,कंपाउंड , आदि। इनमें पड़ोसी का काफी महत्व रहेगा। आपातकाल स्तिथि में पड़ोसी का रहना अनिवार्य  है। यदि बगल के चाचा मौजूद है तो टेंशन की बात नहीं । संपूर्ण जगह बंगल होने से जगह की काफी ख़पत होगी , साथ ही प्रतिस्क़ुएरफिट ज़मीन का दाम भी बढ़ जायेगा।
जैसे हर सिक्के के दो पहलु होते है वैसे इसके भी कुछ खामिआ  है। बड़े-बड़े बंगले हर कोई बना नहीं सकता। यह थोड़ा मेहेंगा पड़ेगा। १ बिल्डिंग में फ्लैट के साथ-साथ दुकाने भी होती है ,अगर बंगला हो तो ये मुमकिन नहीं। इसके मेंटेनेंस का खर्चा भी होगा। इमारतों में हर चीज़ की कुछ न कुछ सुविधा होती है परन्तु , विला नामक  घर में खुद से व्यवस्ता करनी पड़ेगी। 

बंगले  होने से इंसानों का काम बढ़ जायेगा। सबह दूध वाले , कूड़ेदान वाले लोग थक जायेंगे काम करते-करते। बिल्डिंगस में सभी काम एक बार में  हो जाता था परन्तु , ज्यादा मात्रा में बंगले होने से काफी कठिनाई होगी प्रत्येक के घर काम करने से। साथ ही वॉचमन की ड्यूटी भी ख़तम होने की कगार पे आ  जाएगी। इंसान हमेशा चीजों को आसान बनाने में लगा रहता है। शायद बिल्डिंगो का कांसेप्ट इसी  लिए आया होगा।


' बंगले के पीछे तेरी ' , ये गाना फिर यादगार बन जायेगा और इसी तरह के गाने मनोरंजन के लिए बनेंगे। विकिसत या अविकसित देश , दोनों में दिखने में ज्यादा अंतर नहीं होगा। फिर वो दिन गए जब अमेरिका में लोग काम के लिए जाया करेंगे। बड़ी-बड़ी इमारते नहीं रहेंगे तो कई घरो का समूह बनाना पड़ेगा। विश्व की सबसे ऊंची बिल्डिंग ' बुर्ज खलीफा ' भी याद नहीं आएगी। 
ऐसा भी हो सकता है की लोग ऊंची इमारते बनाने के बजे जमींन के अंदर  घर बनाए। क्या पता की आसमान को छोड़कर इंजीनियरस मिट्टी  खोदकर आलिशान घर बनाए। संभावना तो बहुत है , पर हम तो कोशिश कर सकते है उसे जानने की। 

घर चाहे कोई भी हो , घर सबके होने से बनता है। यदि सभी लोग प्रेम तथा मिलजुलकर रहे तो परिवार संपन्न होता है। यदि सभी अपनी खुशिया बाटे और परिवार को पूरा रखे  तो वह फॅमिली ' जॉइंट फॅमिली ' कहलाई जाएगी। बंगले और बिल्डिंग में सिर्फ लोगों का अंतर है; बिल्डिंग में आपको तरह-तरह के लोग मिलजाएँगे तथा विला  में सिर्फ जाने पहचाने  लोग। इसतरह ,   ' क्या हो अगर पूरी दुनिया में सिर्फ बंगले हो ? ' इस विषय का व्याख्यान पूरा हुआ। 

Thanking to view my blog
A houseship blog .


Read More :











एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ