जानिए क्या है Vedic Plaster ? इसके फायदे क्या है और इससे भारतीय किसानों को कितनी आमदनी हो रही है ? जाने आसान भाषा में।

 जानिए क्या है  Vedic Plaster  ? इसके फायदे क्या है और  इससे भारतीय किसानों को कितनी आमदनी हो रही है ? जाने आसान भाषा में। 

"भारतीय वैदिक कल्चर में अनेक ऐसी खोज है जिससे हम मनुष्य अपना जीवन खुशहाली से बिता सकते है। हर कठिनाओं का इलाज हमारे ग्रंथो में मिल जाता है। हमारी सभ्यता में प्राकृर्तिक चीज़े आपको कोने-कोने में नजर आएंगी। 
उन्ही में से एक खोज है जिसे हम "वैदिक प्लास्टर" के नाम से जानते है। आज हम उसी की चर्चा करेंगे। "

वैदिक प्लास्टरिंग को जानने से पहले प्लास्टरिंग को जाने। 

दरअसल, प्लास्टरिंग एक प्रक्रिया है जिसमें एक चिकनी और एक समान बनावट प्राप्त करने के लिए छत, दीवारों और अन्य सतहों पर एक लेप या आवरण लगाया जाता है।  इसे लोकल भाषा में पुट्टी भी कहते है। 


साथ ही , इस प्रक्रिया में प्रयुक्त होने वाली पतली परत को प्लास्टर या वाल-पुट्टी भी कहते हैं।

यह प्लास्टर विविध धातु या सामग्री से बना हुआ होता है। इसमें जिप्सम,लाइम और सीमेंट भी पाया जाता है। यह दुकानों में आसानी से पाया जा सकता है। यह पाउडर होता है जिसे पानी से मिश्रित करके गाढ़ा बनाया जाता है और फिर आखिर में दीवारों पर लगाया जाता है। 

दीवारों पर इसकी कई पर्ते लगाई जाती है जिससे दीवारों को मजबूती मिलती है। 
आजकल प्लास्टर के कई प्रकार भी आ गए मार्केट में। 
उदाहरण - # गर्मी प्रतिरोधी प्लास्टर।
               # जिप्सम प्लास्टर (प्लास्टर ऑफ पेरिस)। 

Vedic Plaster  क्या है ?

वैदिक प्लास्टर  पौराणिक भारतीय विज्ञान की एक तकनीक है जिससे घरो के तापमान नियंत्रित रखे जा सकता है। 
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दरअसल , यह नाम एक संगठन (Organization & also company ) है , जिसे  डॉ. शिव दर्शन मलिक जी द्वारा चालू किया गया था।  इस संस्था का मुख्या उद्देश्य प्लास्टरिंग करना था ,कुदरती तौर से। 

वैदिक प्लास्टर कंपनी  की जरूरत क्यों पड़ी ?


दरसअल, मलिक जी का मानना है की आज के आधुनिक युग में सीमेंट और कंक्रीट के बने घरों में काफी गर्मी पड़ जाती है जब गर्मी का मौसम आता है। उनके यहाँ जब रात में लाइट चली जाती थी तब उन्हें पसीनेदार गर्मी का सामना करना पड़ता था।  

फिर उन्हें उनके दादा के घर की याद आई।  उनके दादा का घर गर्मी में ज्यादा गर्म नहीं होता था और जाड़े के मौसम में अधिक ठंडा नहीं होता था। 
उनके मन में उसी क्षण विचार आया की नए टेक्नोलॉजी से घरों में सीमेंट और केमिकल्स का बहुत यूज़ होता है। यह माकन क्यों गर्म हो रहे है ? और इन्हे बचाया कैसे जाये ? 

नए ज़माने के घरों में मिटटी,गाय का गोबर , जिप्सम, क्लस्टर बीन्स और चुने जैसी कुदरती चीज़ो की कमी उन्हें नज़र आई।  

इसको देखते हुए मालिक जी ने साल २०१८ में अपनी कंपनी  ' vedic  plaster '  को शुरू की। यह कंपनी न की प्लास्टर बनातीं है बल्कि कुदरती सामग्री से ईंटऐ और पेंट्स भी बनाती है। 

वैदिक प्लास्टर में यूज़ होनी वाली सामग्री और बनाने की प्रक्रिया ।

वैदिक घटकों से बनी ईंटें

प्लास्टर का बेस बनाने के लिए आसपास के खेतों से जिप्सम इकट्ठा किया जाता है। उसे फिर गाय के गोबर, मिटटी और गौर-गुंद के साथ मिलाया जाता है। और आख़िरकार  फफुं(Fungus ) से बचाने के लिए citric acid को भी मिलाया जाता है।  

कंपनी यहाँ पर आसपास के इलाकों से मिटटी को लाती है। साथ ही गाय का गोबर स्थानीय किसानों से मिल जाता है। सामग्रियों को तौल कर फिर मिलाया जाता है। मिश्रण को पानी और चुने के साथ मशीन में डाला जाता है। 
आखीर में तैयार हो जाने के बाद उसे २४ घंटो के लिए अलग रखा जाता है। अगले दिन मिश्रण को ईंटों के खाचे में फिट किया जाता है। फिट होने के बाद उसे १ हफ्तों तक सुखाया जाता है। 


सूखने से ईंटों को भट्टी में जलाना नहीं पड़ता। यानि प्रदूषण में कमी होना। यह सब होने के बाद , इस पदार्थ को देशभर में कही पर भी लाया जा सकता है। 

प्लास्टर : वैदिक प्लास्टर यानि पुट्टी गाय के गोबर , जिप्सम और कुछ कुदरती पदार्थो से बनता है ।


किसानों को फायदा मिलना। 

वैदिक प्लास्टर की खोज एक भारतीय ने की है तो जाहिर सी बात है की भारतीय किसानों को फायदा जरूर पहुंचेगा। काफी अध्यन के बाद किसानों को वैदिक - प्राकृर्तिक प्लास्टर से क्या फायदा पंहुचा है ? यह नीचे बताया है। 
१. इसमें गोबर का इस्तेमाल भी होता है , तो लोकल किसान को डायरेक्ट मुनाफा पहुँचता है। 

२. किसान इस खुद भी बनाके बेच सकते है।  इसकी कीमत ₹१० से ₹१२ रुपए प्रति किलो है।  

३. अमेज़ॉन  e-commerce वेबसाइट के सहयोग से किसान ₹५-१० लाख रुपए प्रति वर्ष कमा सकते है। ( मजदूरो की जरूरत पड़ सकती है )। 

४. इसमें जिप्सम का उपयोग भरी मात्रा में लगता है।  भारतीय किसान खासकर राजस्थान के किसान जहाँ पर जिप्सम बहुत मिलता है , वे लाखों रुपए कमा सकते है प्रति एकर जमीं में।  

५. भारत में रोजगार के अवसर खुल जाता है।  जैसे- जैसे लोगो में  जागरूकता बढ़ेगी वैसे-वैसे वैदिक प्लास्टर का उपयोग और बढ़ जाएगा। इससे आने वाले वक्त में बहुत से किसान अपनी कमाई कमा पाएंगे। 

स्वच्छ पर्यावरण होना यानि प्राकृर्तिक वातावरण का एहसास  होना। 
(Experimentally founded)

१. वैदिक प्लास्टर से बने हुए घरों में सूर्य की हानिकारक किरणे , रेडिएशन  और अग्नि अपना प्रभाव नहीं डाल सकते। 

२. यह घरों को गर्मी और ठंडी , दोनों मौसम में तापमान को नियंत्रित रखता है। 

३. यह प्लास्टर जीवाणु - कीटाणु  के विरोधी है।  उदहारण -( citric acid )

४. तराई की आवश्यकता यहाँ नहीं पड़ती।

५. गोबर के इस्तेमाल से ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट काम होता है। 

६. एक बार वैदिक प्लास्टर का उपयोग करने से घर में केमिकल वाली पेंट्स यूज़ करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। 

७. आपने सुना होगा की दीवारों के भी कान होता है , पर वैदिक प्लास्टर करने पर दिवार ध्वनि प्रतिरोधी(Sound resistant) बन जाते है।

८. शंख के चूर्ण को मिलाकर वैदिक प्लास्टर का उपयोग किया जा सकता है , इसके अंदर। 

९. कुदरत को हानि नहीं पहुँचती। 

इतने सब प्राकृर्तिक फायदे होने के बाद तो लोग वैदिक प्लास्टर से बने घरों में जरूर सुकून का आनंद उठाते होंगे। 

• आशा है की आपको हमारा ब्लॉग समझा होगा। 
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