क्यों सभी साबुनों के रंग अलग होने पर भी उनके झाग सफ़ेद होते है ?
"हम सभी अपने दिनचर्या में साबुन का इस्तमाल तो अवश्य करते है। करे भी क्यों न ये तो गंदगी साफ़ करने वाली वस्तु जो है । बर्तन धोने से लेकर कपड़े धोने तक ; कही न कही साबुन हमारे बहुत काम आता है । टिश्यू से लेकर जेली , इनसभी प्रकारो में साबुन हमें दिखाई देता है। हमें बचपन में ट्रैन से सफर करते समय कागज़ वाले साबुन से हाथ धोने में काफी मजा आता था। चाहे ,साबुन पतला हो या फुला हुआ , हमें तो उससे काम करना अच्छे से आता है। परन्तु , कभी सोचा है इतने प्रकार के साबुन से किसी चीज़ को धोने पर उसका झाग सफ़ेद ही क्यों होता है ? कभी सोचा है साबुनों के रंग तो विभिन्न प्रकार के होते है , पर उनका झाग सफ़ेद ही क्यों ; काला या किसी और रंग का क्यों नहीं ? "
वेल , आज हम आपके इन्हीं सवालों का जवाब देंगे।
हम आपको बता दे की जिसकी केमिस्ट्री अच्छी है , उसे ये जल्दी समझेगा।
दरसल , सभी साबुनों मे 'sodium lauryl sulfate' [sls] C12H25SO4Na नाम का केमिकल होता है , जिससे झाग बनता है। 'सोडियम लॉरयल सल्फेट' यह केमिकल हमें शैम्पू,टूथपेस्ट ,आदि , में दिखाई पड़ता है। SLS को रसायन विज्ञान में 'सर्फैक्टेंट्स' के रूप में जाना जाता है, और दोनों को नारियल के तेल से प्राप्त किया जा सकता है। सर्फेक्टेंट आमतौर पर कार्बनिक अणु होते हैं जिनमें हाइड्रोफोबिक (पानी से दुरी करने वाला) अंत होता है और एक हाइड्रोफिलिक (पानी से साथ मिलने वाला) होता है।हर केमिस्ट को यह मालूम होता है। ये सर्फैक्टेंट पानी की सतह के तनाव को कम कर सकते हैं ,झाग बनाने के लिए आवश्यक काम की मात्रा को कम कर सकते हैं और इसके भीतर बुलबुले की स्थिरता में वृद्धि कर सकते हैं।
यह साथ में ग्रीज़ निकालने में भी काम आता है। परन्तु, इन दिनों ऐसा लगता है कि रोजमर्रा के उत्पादों में पाया जाने वाला कोई भी रसायन और ज्यादा हाइड्रोकार्बन होने पर उसे कैंसर से जोड़कर देखा जाता है। ज्यादा रसायन उद्पदनों के इस्तेमाल करने से बिमारियों का खतरा बन जाता है।
अब हम जानते है की सभी साबुनों में एक ही रंग का झाग क्यों ? हमने अभी-अभी पढ़ा हे की 'सोडियम लॉरयल सल्फेट' (SLS)से झाग बनता है । सभी कंपनियों के साबुनों में यही केमिकल मौजूद होता हे जिससे सफाई होती है। शरीर के अंधरुनी हिस्सों में सफाई होना बेहद जरूरी है। यह केमिकल बड़ी सफाई से काम करता है। इसके कारण हम खुद को नहाया हुआ मानते है। इसलिए ये केमिकल काफी पॉपुलर है और काफी सस्ते दाम पे मार्किट में उपलब्ध होता हे। इसे बनाना भी आसान है। साबुन को घिसने से झाग निकलता है | झाग बिना घिसे निकल ही नहीं सकता | इसलिए घर्षण का होना आवश्यक है |
यह दोनों तरीको से मिलता है - कुदरती (Natural) और कृत्रिम (Artificial)। ये हमें नारियल तथा पाम ऑयल से मिलता है। साथ ही रसायन वैज्ञानिक इसे हाइड्रोजन लॉरिल सल्फेट का उत्पादन करने के लिए सल्फर ट्राइऑक्साइड(S03) के साथ पेट्रोलियम या संयंत्र स्रोत से लॉरिल अल्कोहल पर प्रतिक्रिया करते है, जिसको बाद में एसएलएस का उत्पादन करने के लिए सोडियम कार्बोनेट के साथ बेअसर कर दिया जाता है।
फिर सभी कम्पनियाँ इसे ही इस्तेमाल करती हे तो झाग भी सफ़ेद ही आता है। इसका रंग ही सफ़ेद होता है, फिर तो काला , पीला , हरा , यह रंग तो हो ही नहीं सकते। सभी साबुनों में यह केमिकल सामान्य तौर पे पाया जाता है।
इसप्रकार हमने जाना की सभी साबुनों में सफ़ेद झाग ही क्यों आता है। व्याख्यान पूरा हुआ।
आशा हे की आपको हमसे काफी जानकारी मिली होगी।
Thanking you ,
Houseship vlogs.



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